राती घाटी शोध एंव विकास समिति

बीकानेर की अमर वीरगाथा​

राती घाटी युद्ध​

26 अक्टूबर 1534 — वह दिन जब बीकानेर की धरती पर राव जैतसी और उनके वीरों ने स्वाभिमान, संस्कृति और मातृभूमि की रक्षा के लिए इतिहास रचा।

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वर्षों से साहस की परंपरा जीवित​

वीरता भीतर से, प्रेरणा हर युग में

राती घाटी का युद्ध हमें याद दिलाता है कि जब निष्ठा, धर्म और स्वाभिमान एक साथ खड़े होते हैं, तब इतिहास झुकता नहीं — झुकाने वाले बनते हैं। बीकानेर के हर योद्धा की यह भावना आज भी हमें प्रेरित करती है।​

बीकानेर से प्रेरणा, संस्कृति की पहचान

राती घाटी शोध एवं विकास समिति इतिहास से जुड़ाव, भविष्य की दिशा

वर्ष 1990 में गठित राती घाटी शोध एवं विकास समिति का उद्देश्य बीकानेर की वीर परंपरा, संस्कृति और इतिहास को संरक्षित करना है। समिति निरंतर ऐसे कार्यों में संलग्न है जो राती घाटी युद्ध जैसी ऐतिहासिक घटनाओं को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का कार्य करते हैं। शोध, प्रकाशन, प्रदर्शनियों और शैक्षणिक कार्यक्रमों के माध्यम से यह समिति बीकानेर की गौरवगाथा को जीवंत बनाए हुए है।

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वर्षों से इतिहास के संरक्षण में सक्रिय

Jai Rati ghati

बीकानेर की मिट्टी में रची वीरता की गाथा — जहाँ राव जैतसी ने साहस, निष्ठा और संस्कृति को एक सूत्र में बाँध कर मातृभूमि की रक्षा का इतिहास रचा। उनके आदर्श आज भी हर पीढ़ी को प्रेरणा देते हैं।

श्री जानकी नारायण श्रीमाली

संपर्क करें

राती घाटी शोध एवं विकास समिति से जुड़ें

इतिहास, संस्कृति और वीरता के इस अभियान में आपका स्वागत है। अपने सुझाव, प्रश्न या सहयोग के लिए नीचे विवरण भेजें — हमारी टीम शीघ्र संपर्क करेगी।

समिति की प्रमुख गतिविधियाँ

राती घाटी शोध एवं विकास समिति ने 1990 से अब तक कई ऐतिहासिक शोध कार्य किए हैं —
जिनमें राती घाटी युद्ध पर आधारित पुस्तकों, लेखों और आलेखों का प्रकाशन प्रमुख है।

समिति के प्रयासों से 2012 में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 9 और 10 के पाठ्यक्रम में
“राती घाटी युद्ध” को शामिल किया गया।
आज लाखों विद्यार्थी इस वीरगाथा से प्रेरणा ले रहे हैं।

1992-93 में राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित हुआ जिसमें मोरोपंत पिंगले और ठाकुर रामसिंह ठाकुर जी जैसे विद्वानों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
2012 में ग्वालियर अधिवेशन में प्रदर्शनी का उद्घाटन श्री मोहन भागवत जी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया।

समिति द्वारा “श्री मोहन सिंह बीका स्मृति पुरस्कार” और “राव जैतसी पुरस्कार”
इतिहास, साहित्य और सांस्कृतिक संरक्षण में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को प्रदान किए जाते हैं।

बीकानेर की मिट्टी में रची वीरता, कला और परंपरा को संरक्षित रखना समिति का सतत उद्देश्य है।
आने वाली पीढ़ियों तक इस गौरव को पहुँचाना हमारा संकल्प है।

बीकानेर की वीरता, संस्कृति और समर्पण की यात्रा

राती घाटी — इतिहास से प्रेरणा की यात्रा

यह केवल एक युद्ध नहीं था, बल्कि एक संस्कृति का पुनर्जागरण था। राव जैतसी और उनके सेनापतियों ने 1534 में राती घाटी की भूमि पर साहस, निष्ठा और त्याग का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जो आज भी प्रेरणा देता है। समिति का उद्देश्य इस गौरवशाली इतिहास को जन-जन तक पहुँचाना और नई पीढ़ी में राष्ट्र और संस्कृति के प्रति गर्व की भावना जगाना है।

जय राती घाटी

जब बैलों ने रणभूमि रौशन की, शौर्य ने इतिहास रचा

वीरता
साहस
रणनीति
बीकानेर की गौरवगाथा — शोध से संस्कृति तक
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वर्षों का शोध और समर्पण

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प्रकाशित लेख, पुस्तकें और सम्मेलन

वीरता से प्रेरणा लें, इतिहास से जुड़ें और संस्कृति की यात्रा आरंभ करें

राती घाटी शोध एवं विकास समिति 1990 से निरंतर बीकानेर और राजस्थान के गौरवशाली इतिहास को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का कार्य कर रही है। शोध, प्रकाशन, सेमिनार और प्रदर्शनियों के माध्यम से समिति ने “राती घाटी युद्ध” को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

1990 में समिति ने भारतीय दृष्टिकोण से इतिहास संकलन का कार्य आरंभ किया।
2012 में राती घाटी युद्ध को राजस्थान बोर्ड की कक्षा 9–10 में शामिल किया गया।
समिति को सांस्कृतिक और शोध योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए।

बीकानेर की धरोहर में अपना योगदान दें

इतिहास संरक्षण निधि

शोध कार्य, दस्तावेज़ और अभिलेखों के डिजिटलीकरण में सहयोग

युद्ध स्मारक निर्माण सहायता

राती घाटी युद्ध के स्मारक और प्रदर्शनी के विकास हेतु

शोध एवं प्रकाशन सहयोग

नई पीढ़ी के लिए पुस्तकें और शोधपत्र तैयार करने में सहायता

शैक्षणिक छात्रवृत्ति योजना

विद्यार्थियों को राजस्थान के गौरवशाली इतिहास से जोड़ने का अवसर

युद्ध से इतिहास तक — शोध की यात्रा

राती घाटी युद्ध पर आधारित लेखों, शोध-पत्रों और ऐतिहासिक विवेचनों की श्रृंखला। यहाँ जानें कैसे 1534 का यह युद्ध बीकानेर के गौरव, संस्कृति और एकता का प्रतीक बना। समिति द्वारा प्रकाशित शोध और इतिहासकारों के दृष्टिकोण आपको उस युग में ले जाएंगे जहाँ वीरता और नीति दोनों ने इतिहास रचा।

राती घाटी युद्ध पर आधारित लेखों, शोध-पत्रों और ऐतिहासिक विवेचनों की श्रृंखला। यहाँ जानें कैसे 1534 का यह युद्ध बीकानेर के गौरव, संस्कृति और एकता का प्रतीक बना। समिति द्वारा प्रकाशित शोध और इतिहासकारों के दृष्टिकोण आपको उस युग में ले जाएंगे जहाँ वीरता और नीति दोनों ने इतिहास रचा।

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